—————- मजदूर हूँ मैं लेकिन आज मैं मजबूर हूँ शहर में भटक रहा हूँ गाँव से भी दूर हूँ । गाँव को छोड़ रोजी-रोटी की तलाश में चार पैसे कमाने को शहर में आया हूँ । हड्डियाँ गलाकर उद्योग चलाया उनका ईमानदारी से काम का ये इनाम पाया हूँ । मतलब नही रहा तो मुँह मोड़ लिये उसने शून्य से शिखर पर जिन्हें मैं पहुंचाया हूँ । सियासत का लॉक डाउन यहाँ कहाँ हुआ राजनीति के खुले बाजार को मैं गरमाया हूँ । चाहे मिडिया हो चाहे हो साहित्य समाज हर किसी के जुबाँ पर आज मैं ही छाया हूँ । इतने हिमायतीदार हुए है आज यहाँ मेरे फिर भी दर – दर ठोकरे मैं ही खाया हूँ । अपने लिये मैं अपने तकदीर से भी लड़ा हूँ सब विमर्श पीछे हुए आगे आज मैं खड़ा हूँ । फिर भी संकट के समय में निसहाय पड़ा हूँ । हर परिस्थिति में राष्ट्रहित का ध्यान रखा हूँ मजदूर होने का फिर भी अभिमान रखा हूँ ।
************************* हार कहाँ हमने मानी है राष्ट्र के संघर्ष पर निरन्तर पथगामी है हर मुश्किल से लड़कर लिखते नई कहानी है संघर्ष रत है हम, हार कहाँ हमने मानी है
चली ये कैसी झकझोर हवा तूफानी है जन्म लिया जहाँ कोरोना, की उसने मनमानी है कोरोना अभिशाप बना हमारे लिए, हुई हैवानी है समय रहते स्थिति भांपा, भारत की बुद्धिमानी है भारत की सूझबूझ देख , हुई जग को हैरानी है मिट जाएगा नामोनिशान रार उनसे अब ठानी है है जोर कितना हममें, ये दुनिया को दिखलानी है हार कहाँ हमने मानी है
कोरोना ने कैसा तांडव नाच नचाया सारा संसार अब इनसे है घबराया बला क्या है ये कोई समझ न पाया कारखाना मीलो में भी, ताला जड़ा लॉक डाउन कर घर में रहना पड़ा पर कोरोना से लड़ने की,हमने ठानी है सम्पन देश भी जहाँ, मांग रहा पानी है हार कहाँ हमने मानी है
जब-जब देश में संकट का बादल छाया मिलकर हमने है उसे हराया वर्षो से बंधी गुलामी की जंजीरे तोड़े आँख दिखाये दुश्मनो ने तो, उनके भी मुँह मोड़े कितने प्रलय हुए इस भूमि पर कभी धरा भूकम्प से कंपकंपा उठी कभी जलजला से कितने आशीयाने बहे सब कष्टो को है हमने सहे हर मुसीबत में एक बात दुनिया ने जानी है हार कहाँ हमने मानी है
बेघर न हो कोई , न पड़े खाने के लाले इसकी भी राह , हमने हैं निकाले हर संकट से अब, मिलकर पार लगानी है मायूस पड़े चेहरों पर ,मुस्कान फिर खिलानी है नई दिवस की नई सुबह, फिर हमें लानी है विश्व गुरु बनके, राह फिर दिखानी है हार कहाँ हमने मानी है !
Jokes 1. परीक्षा मे फेल होने की वजह पुछी गई तो जवाब दिया, आज के होनहार छात्र ने ?? 1 साल के 365 दिन होते हैं…… रोज 8 घंटे सोने … Continue reading “hindi jokes new”
बहुत पहले की बात है ,एक छोटा सा गांव था, उस गांव के लोग खेती किसानी का काम करते थे । जिनके पास खेत नहीं होता था , वे भेड़ … Continue reading “सोने का फल”
तकलीफ़ तब नही हुई मुझे आसमां के नीचे बसेरा हुआ। भूखे पेट सोया , खाली पेट सवेरा हुआ । चलते रहे नंगे पांव, दूर कहीं अपने गांव मिला न ज़रा सी छांव, छीलते रहे मेरे पांव तकलीफ़ तब हुई मुझे । जब देश में ही अपने, प्रवासी कहा मुझे क्या टुकड़े हो गये है? देश के फिर! या शर्म आती है तुम्हें मजदूर को अपना कहने में!
नेता प्रवासी नहीं हुए जो कभी यहाँ से तो कभी वहाँ से लड़ते हैं चुनाव, पद की लोलुप्सा में जो अक्सर, जनमत को रखकर ताक में कभी इस दल तो कभी उस दल में करते रहते हैं प्रवास पद पर ही होते हैं जिनके झुकाव फिर जनता लगाते हैं जिनके चक्कर बन के घनचक्कर नहीं कहलाते वो नेता प्रवासी कहलाते हैं वो भारतवासी
प्रवासी नही हुए ब्योरोकेट्स भरते हैं जो केवल अपने सूटकेस चूस के योजनाओं का रस जो बनते हैं हमारे नाम पर और देते हैं छिलके हमें इनाम पर मलाईदार पदों पर जो करते हैं अक्सर प्रवास नही कहलाते वो प्रवासी कहलाते हैं वो भारत वासी
प्रभु ने सुन्दर सृष्टि का किया सृजन कर न सके हम उनका पूजन मानव मन में जगी अभिलाषा भूल गये प्रकृति तंत्र की परिभाषा अधिकारों का अपने कर अतिक्रमण, बर्बर किया मनुज ने धरा का शोषण फिर उस शाशवत महाप्राण ने , परिवर्तन का ऐसा खेल रचाया दूर कर सर्वत्र प्रदूषण, किया धरा का नवपोषण
क्षीर सागर में लगा के डुबकी वसुंधरा निकली करके नव श्रृंगार स्वर्ण आभूषित गले की हार स्वर्णिम रजत बूंदों सी बहती , स्वच्छ गगन में मेघाकार देते यही सन्देश, ये नीले नीले अम्बर लो धरा फिर संभलो तुम,दे रहा दिगम्बर………..