अब आत्मनिर्भर बनो, गांधी ने बताई वह राह चुनो
डूब रही अर्थव्यवस्था , दौर ए कोरोना की पुकार सुनो।
स्वदेसी हो नीति देश की, आत्म निर्भर हो कर्णधार
हो ऐसी नीति विचार, जनता से जुड़े हो उनका सरोकार ।
विकट परिस्थिति ने, सबक ये सिखाया है
निर्भर थे जिस पर, उसने ठेंगा दिखाया है।

आत्मनिर्भर बन, स्वाभिमान से अब जीना होगा
जख़्म दिए इस दौर ने जो, खुद ही उसे सीना होगा।
स्वावलम्बी ग़र होते हम , आज यूँ न रोते हम
कोरोना के इस सागर में, लगा रहे होते गोते हम।
शिक्षा की भी राह मोड़ें, मैकाले की अब शिक्षा छोड़ें
गाँधी ने बताई बुनयादी शिक्षा, उससे अब नाता जोड़ें
कौशल आधारित हो , भारत की शिक्षा नीति
हर मुश्किल परिस्थिति को, जिससे जाये जीती।
जीवन के हर क्षेत्र में ,आत्म निर्भर अब बनना होगा
हर गांव- गली में , लघु-कुटीर उद्योग को गढ़ना होगा।
मजदूर न हो प्रवासी, इंतजाम इसका करना होगा
हर घर हर कर को अब , कारखाना बनना होगा।
बदली हुई परिस्थिति में फिर से, हमें अब ढलना होगा
स्वावलम्बी बनने नये सिरे से , हमें अब चलना होगा।
आत्म निर्भर बनने, स्वरोजगार को अब चुनना होगा
स्वावलम्बी भारत के ,सपनों को फिर बुनना होगा।
**************************************
