शिक्षक दिवस पर कविता

*शिक्षक दिवस हेतु शिक्षकों को समर्पित मेरी पंक्तिया*

मेरे शिक्षक का साथ
****************
अबूझ लकीर ही थे वे
कुछ बिंदु सरीखे लगते थे
काले पट्टी में श्वेत चाक
बनकर कुछ चित्र उभरते थे
उंगली को मिला सहारा तब
पीठ में अपनेपन का थाप
कुछ लकीरों आए वर्ण बने
पाकर मेरे शिक्षक का साथ…

गूँगा था तब तलक स्वयँ
मन कोरी जब तक ज्ञान बिना
मां की लोरी तो मन्त्र ही थे
जिनसे शब्दों का अहसास मिला
कुछ भाव मेरे भीतर जागे
पर साहस शिक्षा से आई
परी कहानी ,चन्दा मामा
मुनिया की दुनिया से शुरू पढ़ाई
मंच दिलाकर और निखारा
ताली का वो पहली हाथ
तुतलाते हुए लफ़्ज़े शब्द बने
पाकर मेरे शिक्षक का साथ…

कभी सख्त हो दिए डांट
कभी सीख की सरल बात
अनगित लम्हो का दौर याद
सृजनदूत वे शिल्पकार
सीधे-सादे जीवनधारा
पर मन मे थे उच्च विचार
ध्वनि घण्टी पर बंधे नियम
समय बोध कर्तव्य पाठ
अतीत हुआ सुखद वर्तमान
पाकर मेरे शिक्षक का साथ….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: