एकता का बल हिंदी कहानी

                                                                                                                           नमस्कार साथियों आज मैं आपको हिंदी की एक रोचक कहानी ” एकता का बल ”  के बारे में बताने जा रहा हूं , जिसे पढ़कर आपको बहुत ही आनंद आएगा ।

                 एक जंगल में एक चूहा और एक कबूतर रहता था , दोनों बहुत अच्छे मित्र थे । कबूतर और चूहे की दोस्ती को देखकर किसी को भी समझ नहीं आता था कि , एक  जमीन के अंदर रहता है और दूसरा पेड़ के ऊपर । फिर भी इन दोनों में इतनी गहरी दोस्ती कैसे है  । यह देख कर एक दिन एक कौवा उनके पास जाता है , और कहता है कि , आप लोग मुझे भी अपना दोस्त बना लो ।मैं आप लोगों को बहुत पसंद करता हूं , और मैं आपके सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहूंगा ।
                         यह बात सुनकर चूहे ने कहा कि कौवा और चूहे की  दुश्मनी तो आदि – अनादि काल से चली आ रही है । भला चूहे की दोस्ती कौंवे से कैसे हो सकती है । कौवा, चूहे का जानी दुश्मन होता है , हम तुम पर कैसे विश्वास कर ले । यह बात सुनकर कौवा गिड़गिड़ाने लगा कि अगर तुम लोगों ने मुझे अपना दोस्त नहीं बनाया तो मैं , बिना कुछ खाए पीए ही अपने प्राण त्याग दूंगा । कौवे के बहुत मनाने और बार बार विश्वास दिलाने पर कबूतर ने कहा कि चलो एक बार हम इसका विश्वास कर लेते हैं , और इसे अपना दोस्त बना लेते हैं । इस तरह कौवा , कबूतर और चूहा तीनों दोस्त बन गए ।
                    दिन यूं ही बीतते गए और उन्होंने देखा कि कौवा एक बहुत अच्छा दोस्त है , और हमेशा उनकी मदद के लिए तैयार रहता है , कौवा सच्चा था , वह अपने दोस्तों को बेइंतहा प्यार करता था , तीनों दोस्त एक साथ मजे से रहते थे तथा सुख दुख में एक – दूसरे का साथ देते थे । कुछ समय पश्चात उस जगह पर भयानक अकाल पड़ा नदी – नाले सूखने लगे , पेड़-पौधे , घास सभी सूखने लगे ,और जंगल में खाने की बहुत किल्लत हो गई ।
                                                                         कौवे ने कहा कि दोस्तों अब यहां पर रहना उचित नहीं है , यहां पर रहेंगे तो भूख से मर जाएंगे । यहां से बहुत दूर दूसरा जंगल है , जहां पर मेरा एक दोस्त है और वहां का जंगल हरा-भरा है , वहां पर खाने की खूब सारी चीजें हैं , हम लोगों को वहां पर जाना चाहिए । वहां पर हमारी मदद के लिए मेरा दोस्त हमेशा तैयार रहता है,  पहले तो कबूतर और चूहे को यह उपाय अच्छा नहीं लगा लेकिन बाद में सोच कर उन्होंने कौवे की बात मान ली और तीनों जंगल के लिए रवाना हो गए । कौवा चूहे को अपने चोंच में दबा कर उड़ने लगा और साथ में कबूतर भी उड़ने लगा । वे लोग बड़ी सावधानी से आगे बढ़ने लगे , दूसरे जंगल में पहुंचने के बाद उन्होंने देखा कि यह जंगल तो वाकई बहुत हरा-भरा है , और यहां खाने का भंडार है । कौवा एक तालाब के किनारे उतर गया और चूहे को भी नीचे उतार दिया । कबूतर भी कौवा के पास आकर उतर गया , फिर कौवे ने अपने दोस्त को जोर – जोर से आवाज लगाई ।
                           तालाब से निकल कर उनके पास एक बड़ा सा कछुवा आया और उसने कौवे से कहा –  मेरे दोस्त तुम कितने दिन बाद आए हो , कहो तुम कैसे हो ? सब कुशल मंगल तो है ना ? तो कौवे ने सारी बात अपने दोस्त को बता दी । चारों दोस्त उस नदी के किनारे हंसी –  खुशी रहने लगे । कुछ दिन बाद जब यह चारों तालाब के किनारे बैठ कर बातें कर रहे थे , तभी एक हिरण भागते – भागते उनके पास आया , हिरण  हाँफ रहा था , उसकी साँसे फुली हुई  थी । कौंवे ने कहा ओ भाई हिरन कहां  चले जा रहे हो तुम इतना डर क्यों रहे हो ? तब हिरन ने कहा क्या तुम कुछ जानते हो बहुत बड़ी कठिनाई आने वाली है । यहां पर कुछ दूर नदी के किनारे एक राजा ने अपना डेरा लगाया है , इस राजा के सैनिक बहुत ही क्रूर और अत्याचारी है । कल वे इधर हि शिकार के लिए आयेंगे । उनके सामने जो भी आता है , उन्हें वो नष्ट कर देते हैं । अगर अपनी जान बचाना चाहते हो तो तुरंत यहां से भाग जाओ ! क्योंकि वे लोग कल सुबह ही शिकार के लिए निकल जायेंगे , हमारे पास समय बहुत कम है। यह बात सुनकर सभी परेशान हो गए और चारों  दोस्तों ने हिरण के साथ कही दूर चले जाने का निश्चय किया ।
               अब पांचों जानवर दौड़ते-दौड़ते दूसरी जगह पर जाने लगे चूंकि कछुवा बहुत बड़ा था और वह जमीन पर रेंगता है , इसलिए सभी धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे । कुछ दूर जाने के बाद एक शिकारी की नजर उस कछुवे पर पड़ गई , शिकारी दौड़ते हुए उसके पास आया । हिरन भाग गई कौवा और कबूतर पेड़ पर चढ़ गयें , चूहा बिल में घुस गया । लेकिन कछुवा कुछ ना कर पाया और उसे शिकारी ने पकड़ लिया और अपनी जाल में भरकर चलने लगा । यह देख कर सभी दोस्त बहुत परेशान हो गए और सोचने लगे कि कैसे इस संकट से छुटकारा पाया जाए और अपने दोस्त की जान बचा जाये ।उन्होंने एक तरकीब निकाली ।
                     जैसे ही नदी के किनारे शिकारी ने जाल को नीचे रखा और खुद हाथ मुंह धोने के लिए नदी के नीचे उतरा वहीं पर कुछ दूर हिरन जमीन पर लेट गई और मरने का नाटक करने लगी । इतने में कौवा आया और हिरण पर चोंच मारने लगा । यह देख कर शिकारी ने सोचा कि यह हिरन अभी-अभी मरी होगी , उसका माँस अभी ताजा होगा । उसने उसे उठाने के नियत से उसके पास गया तभी बिल से चूहा बाहर आया और उसने कछुवे के जाल को काट दिया । कछुवा जल्दी से निकलकर तुरंत ही नदी में कूद गया और उसकी गहराइयों में गायब हो गया । चूहा बिल में घुस गया हिरन के नजदीक आते ही कौवा उड़ गया और हिरण भी तेज दौड़ लगाते हुए जंगलों में छिप गई । इस तरह सभी साथियों ने हिम्मत और बहादुरी के साथ काम करके , एकता से रहकर उन्होंने सबकी जान बचा ली। सभी साथी फिर से एक बार अपने गंतव्य के लिए निकल पड़े।
           इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि , अगर एकता के साथ काम किया जाए तो बड़ी से बड़ी कठिनाई भी आसानी से हल हो जाती है ।
 
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इंडियन बटर ट्री अर्थातच्यूरा वृक्ष

 

घी गुड़ और शहद देने वाला वृक्ष च्यूरा अर्थात् इंडियन बटर ट्री

                                                                      आओ हम आपका परिचय घी गुड़ और शहद देने वाले एक विचित्र वृक्ष से करवाएं उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में एक ऐसा ही वृक्ष पाया जाता है , जो कि घी , गुड़ तथा शहद देता है । इसके अलावा यह वृक्ष फल , औषधि , जानवरों के लिए चारा , इंधन और चूहों को मारने के लिए कीटनाशक भी उपलब्ध कराता है । इस पेड़ों के बीजों से इतना तैलीय पदार्थ निकलता है कि , एक अंग्रेज अफसर ने इसका नाम घी वाला वृक्ष अर्थात इंडियन बटर ट्री रख दिया ।
                                                                            स्थानीय लोग इसे च्यूरा कहते हैं , यह बहुमूल्य वृक्ष कुमाऊँ और पिथौरागढ़ जनपद तथा भारत नेपाल की सीमा पर काली नदी के किनारे 3000 फीट की ऊंचाई तक पाया जाता है । वहां उसे ज्यादा तादाद में उगाने का प्रयास किया जा रहा है । यह वृक्ष यहां की जलवायु में ही पनपता है , अतः वहां के लोगों के लिए यह कल्पवृक्ष के समान है । उन लोगों के लिए घी का यही एकमात्र साधन है , जिसके पास फल देने वाले 3 – 4 वृक्ष होते हैं । उसे साल भर बाजार से वनस्पति घी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती । यह एक छायादार वृक्ष होता है , फूल आने का समय अक्टूबर से जनवरी होता है , तथा जुलाई-अगस्त में इसके फल पक जाते हैं । पके हुए फल पीले रंग के होते हैं , खाने में काफी स्वादिष्ट और सुगंधित होते हैं । वातावरण में फैली इस फल की मीठी महक से ही मालूम पड़ जाता है कि फल पकने लगा है । गांव के लोग इन फलों को बड़े चाव से खाते हैं , और एक भी बीज फेंकते नहीं है ।
                                                                               इस वृक्ष पर फल काफी आते हैं , पके फलों से बीज को आसानी से इकट्ठा करने के लिए वे कभी-कभी बंदरों एवं लंगूरों को फल खाने देते हैं । बंदर फलों के बाहरी भाग को खाकर बीजों को फेंक देते हैं , जिन्हें जमीन से बीन कर इकट्ठा कर लिया जाता है । एक वृक्ष से करीब 1 से डेढ़ क्विंटल प्रतिवर्ष बीज मिल जाते हैं । बीज से छिलके निकाल कर अंदर के भाग को धूप में या हल्की आंच पर सुखाकर पीस लिया जाता है , और पानी में उबाल लिया जाता है , कुछ देर उबालने के बाद इसे ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है । ठंडा होने पर पानी के ऊपर घी- मक्खन की तरह एक सफेद पदार्थ तैरने लगता है , इसे कपड़े से छानकर अलग कर लिया जाता है । च्यूरा वृक्ष का घी देखने में वनस्पति घी की तरह सफेद दिखता है , तथा साधारण ताप पर ठोस होता है ।
                                                                                  स्थानीय लोग इससे पूरी , हलवा और अन्य पकवान बनाते हैं , जो अत्यंत स्वादिष्ट और हानिरहित होते हैं । यह घी गाय भैंस के घी से काफी मिलता-जुलता है , मिट्टी के तेल के अभाव में यह  जलाने के काम में भी आता है । यह बिल्कुल मोमबत्ती की तरह धुँआ रहित जलता है । यही नहीं जाड़ो में जब हाथ – पैर ठंड से फटने लगते हैं , या गठिया वात हो जाता है , तब यह घी लोगों के लिए अचूक दवा का काम करता है । च्यूरा घी को गर्म कर धूप में मालिश करके रोग का उपचार करते हैं । च्यूरा घी में एक महत्वपूर्ण रसायन होता है , जिसे पामेटिक अम्ल कहते हैं । यह रसायन विभिन्न  औषधियों और सौंदर्यवर्धक रसायन को बनाने में काम आता है ।
                                                                                    अक्टूबर – नंबर के महीनों में जब यह वृक्ष अच्छी तरह से पुष्पित हो जाता है,  तब इसके सफेद फूल मधुमक्खियों के आकर्षण का केंद्र होते हैं यही कारण है कि , पिथौरागढ़ और नेपाल के पास के इलाकों में जहां च्यूरा वृक्ष अधिक होते हैं , शुद्ध और सुस्वादु शहद हमेशा उपलब्ध होता है । यदि मधुमक्खी पालन गृहों को इन वृक्षों के पास रखा जाए तो शहद सुगमता से मिल सकता है , परंतु इसके लिए बाकायदा वैज्ञानिक तकनीक अपनानी पड़ेगी । स्थानीय लोग इन पर चढ़कर बड़ी सावधानी से डाली को हिला कर फूलों का रस बर्तन में इकट्ठा कर लेते हैं और इसे छान व उबालकर गुड़ प्राप्त कर लेते हैं । यह गुड़ देखने और खाने में बिल्कुल गन्ने के रस से बने गुड़ जैसा ही होता है । लोग इसे औषधि के रुप में भी प्रयोग में लाते हैं । च्यूरा के रस से बनाया अनोखा गुड़ नेपाल और पिथौरागढ़ के उन्ही इलाकों में मिल सकता है , जहां च्यूरा के वृक्ष होते हैं , क्योंकि इस का जितना उत्पादन होता है , वह सब स्थानीय स्तर पर ही खप जाता है ।
                                                                                      हमारे देश के प्रमुख रिसर्च संस्थाओं में अगर इस वृक्ष के बारे में अच्छे से काम किया जाय , और अन्य स्थानों में उगाने लायक किस्म तैयार की जाए , तो यह हमारे देश के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है ।
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                                                                    धन्यवाद

हिंदी कहानी सेठ जी की युक्ति

नमस्कार साथियों आज मैं आपको एक प्रेरणादायक प्रसंग के बारे में बता रहा हूँ कि कैसे एक सेठ ने एक अपराधी को सही रास्ते पर लाया । अपने बहुमूल्य विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताये ।
                                                           एक छोटे से कस्बे में एक सेठ रहता था । उसका एक बड़ा सा दुकान था , दिनभर दुकान के सामने सामान लेने वालों की कतार लगी रहती थी । इसलिए सेठ ने दो नौकर काम के लिए रख लिए । दोनों नौकर सुबह-सुबह ही दुकान आ जाते थे और देर रात तक दुकान में काम करते थे । सेठ दोनों नौकरों को बराबर मजदूरी देता था और सेठानी घर जाने के समय नौकरों को उनके बच्चों के लिए खाने – पीने का सामान दे देती थी । इस तरह कई दिन बीत गए सेठ को अपने दुकान की चीजें कम होती नजर आ रही थी , लेकिन दुकान के गल्ले में पैसा इतनी तेजी से नहीं बढ़ रहा था ।
                                                           
                                                             अब वे परेशान होने लगे उन्होंने यह बात अपनी पत्नी को बताई तो उसकी पत्नी ने भी कहा कि मुझे भी कुछ दिनों से यही महसूस हो रहा है , कि घर का सामान जल्दी-जल्दी खत्म हो रहा है । सेठ और सेठानी ने मामले की तहकीकात करने का निश्चय किया । सेठ और सेठानी एक-एक करके नौकरों के घर गए और उन्होंने उनके घरों की छानबीन की उन्हें एक नौकर के घर से दुकान के कुछ सामान दिखाई दिए । सेठानी ने सेठ को कहा कि उस नौकर को दुकान से निकाल दे , तो फिर सेठ सोचने लगे कि उस नौकर के छोटे-छोटे बच्चे हैं , उनका पालन पोषण कैसे होगा ? फिर अगर वह दूसरी जगह काम पर जाता है तो वह वहां भी चोरी करेगा ! उसको निकालने से काम नहीं बनेगा उसको कैसे सुधारा जाए और कैसे सच्चाई की राह पर लाया जाए इसके बारे में सोचना पड़ेगा ।
                                                                  सेठ ने दोनों नौकरों की मजदूरी बढ़ा दी , उनके बच्चों के लिए कपड़ा जूता और पढ़ाई लिखाई का खर्च भी दिया । तब सेठानी फिर से झगड़ा करने लगी कि , अपना सारा पैसा नौकर-चाकर पर लुटा दोगे तो , हमारे बच्चे क्या करेंगे , उनका भविष्य का क्या होगा , वह तो मर जाएंगे । तो उसने कहा कि नहीं सेठानी वह दोनों मेरे दुकान पर बड़ी मेहनत कर रहे हैं , उनके घर में अगर तंगी होगी तो उनका काम में मन नहीं लगेगा और भी गलत रास्ते पर चले जाएंगे उनको सुधारना मुझे बहुत जरूरी है , उनके सुधरने से हमें भी फायदा होगा । सेठ को अपने कार्य पर पूरा विश्वास था ।

 

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                                                                                    धीरे – धीरे दुकान में चोरी होना बंद हो गया और दोनों नौकर जी जान से , खुशी – खुशी काम करने लगे जिससे सेठ की आमदनी में भी बढ़ोत्तरी हुई । सेठ ने केवल अपने बारे में सोचा होता तो वह नौकर शायद कभी नहीं सुधरता , लेकिन सेठ जी की इस युक्ति से सभी का जीवन सुधर गया ।

Moral – हर अपराधी को दंड देकर ही नहीं सुधारा जाता बल्कि क्षमा और प्रेम से भी सुधारा जा सकता है ।

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                                                         नमस्कार साथियों आज इस लेख में हम प्रसिद्ध हस्तियों के द्वारा कही गई कुछ रोचक Quots के बारे में पढेंगे , जिससे हमारे जीवन को नई दिशा मिलेगी  । आशा करता हूँ , कि यह लेख आपको पसंद आयेंगे ।अपने बहुमूल्य विचार हमें कॉमेंट करके जरूर बतायें ।

 ” संकट के समय धैर्य धारण करना , आधी लड़ाई जीत लेने के बराबर है । “
प्लॉट्स
” यदि किसी कन्या के दोष जानना हो तो , उसकी सहेलियों के सामने प्रशंसा करो । “
बेंजामिन फ्रेंकलिन
” पैसा आपका सेवक है , यदि आप उनका उपयोग जानते हैं । वह आपका स्वामी है , अगर उसका उपयोग नहीं जानते हैं । “
होरीस
” उस काम को जिसे तुम दूसरों के लिए बुरा मानते हो त्याग दो,  परंतु दूसरों पर दोष मत लगाओ । “
स्वामी रामतीर्थ
” धर्म मानव समाज के लिए अफीम का नशा है । “
कार्ल मार्क्स
” कष्ट और छति सहने के पश्चात मनुष्य अधिक विनम्र और ज्ञानी हो जाता है । “
बेंजामिन फ्रैंकलिन
 ” महान कार्य करने का एकमात्र साधन है ,आप अपने कार्य से मोहब्बत करें । “
स्टीव जॉब्स 
” आओ आने वाले कल में कुछ नया करते हैं , बगैर यह सोचे कि कल क्या हुआ था । “
स्टीव जॉब्स
” सपने आपके चरण उपलब्धियों के ब्लूप्रिंट हैं , उन्हें अपने दिल में सहेज कर रखें । “
अज्ञात
” यह निश्चय करना कि आपको क्या नहीं करना है , उतना ही महत्वपूर्ण है , जितना कि यह निश्चय करना कि आपको क्या करना है । “
स्टीव जॉब्स
” दिल का दरवाजा खोलने की दो छोटी चाबी है , सॉरी और प्लीज । “

Hindi Quotes hindi me suvichar

नमस्कार साथियों आज इस लेख में हम प्रसिद्ध हस्तियों के द्वारा कही गई कुछ रोचक Quots के बारे में पढेंगे , जिससे हमारे जीवन को नई दिशा मिलेगी  । आशा करता हूँ , कि यह लेख आपको पसंद आयेंगे ।अपने बहुमूल्य विचार हमें कॉमेंट करके जरूर बतायें ।
” बड़ी-बड़ी महत्वाकांक्षाएँ रखने से छोटी-छोटी इच्छाएं स्वमेव पूरी हो जाती है , पर छोटी-छोटी इच्छाएँ रखने से उनकी पूर्ति भी कठिन हो जाती है । “
थॉमस जैफरसन
” मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं , अपितु परिस्थितियां ही मनुष्य की दास  हैं ।”
डिजरायली
” यदि परिस्थितियां अनुकूल ना रहे , तो ईश्वर को दोष मत दो अपना ही निरीक्षण करो । यदि जरा गहराई से सोचोगे तो तुम्हें स्वयं अपनी कठिनाइयों के कारण मालूम हो जाएंगे ।”
एनन
 ” दूसरों की परिस्थितियां हमें सुंदर प्रतीत होती हैं , जबकि दूसरों को हमारी परिस्थितियां सुंदर प्रतीत  होती हैं । “
साइरस
” महान की उपासना करना , स्वयं महान होने के बराबर है । ” श्रीमती नेकर
 ” जीवन में वास्तविक असफलता एक ही है और वह यह कि मनुष्य जिस बात को जिस रुप में जानता है उसी में तल्लीन न  रहे । “
केनन फेरर
 ” अपने सुधार के बिना परिस्थितियां नहीं सुधर सकती । अपना दृष्टिकोण बदले बिना जीवन की गतिविधियां नहीं बदली जा सकती  । इस तथ्य को मनुष्य जितनी जल्दी समझ ले , उतना ही अच्छा है । “
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य
  ” महत्वाकांक्षी बनो और उसकी कोई सीमा न होने दो । अकर्मण्यता के जीवन से यशस्वी जीवन और मृत्यु अधिक अच्छी है । “
सर सी. वी. रमन
 ” बहुत सी तथा बड़ी गलतियाँ  किये बिना  , कोई मनुष्य बड़ा और महान नहीं बन सकता । “
ग्लैडस्टन
 ” यदि कोई मनुष्य अप्रसन्न है , तो यह उसी का दोष है ‘  क्योंकि ईश्वर ने तो सभी को प्रसन्न बनाया है  । “
इपिक्टेटस
 ” जो दूसरों पर शासन करना चाहता है , पहले उसे स्वयं पर शासन करना चाहिए । “
मैसिंगर
 ” शांत रहो और धैर्य रखो , तुम प्रत्येक पर शासन कर सकते हो । “
सेंट जस्ट
” वास्तविक गौरव आत्म विजय से उत्पन्न होता है , अन्यथा विजेता होकर भी विजित ही रहोगे । “
थॉमसन
 ” जिस समय क्रोध उत्पन्न होने वाला हो , उस समय उसके परिणामों  पर विचार करो । “
कन्फ्यूसियस
 ” संपूर्ण संसार को एकता के सूत्र में बांधने की योजनाएं बनाना सरल है , किंतु अपने हृदय में रहने वाले क्रोध पर विजय पाना अत्यंत कठिन है । “
आचार्य विनोबा भावे
 ” मात्र एक आवेश पूर्ण बात से परिवार में , आस पड़ोस में , राष्ट्र में झगड़ा पैदा हो सकता है और हुआ भी है  । संसार में भी जितने संघर्ष छिड़े हैं  , उनमें से आधे तो कुवचन के कारण ही हुए हैं । “
जेम्स बोल्टन
” स्त्रियों के रोने धोने का आधा भाग अस्तित्व में ही ना आए , यदि व्यर्थ की बातें , जिन्हें वे स्वयं व्यर्थ मानती हैं ,मुंह से ना निकालें । कई बार तो ऐसी बातें ना कहने का संकल्प भी कर बैठती हैं , परंतु फिर भी कह बैठती हैं । “
जॉर्ज इलियट
” सांप्रदायिक नेता वही अच्छा है ,जो अपने उपदेश पर स्वयं आचरण करता हो । “
शेक्सपियर
” लड़ाई – झगड़े संसार में होते ही रहते हैं , किंतु सदा के लिए मन तोड़ बैठना या संबंध विच्छेद कर लेना बहुत ही बुरा है । “
डगलस जेरॉल्ड
काबू में रखें – प्रार्थना के वक़्त अपने दिल को,
काबू में रखें – खाना खाते समय पेट को,
काबू में रखें – किसी के घर जाएं तो आँखों को,
काबू में रखें – महफ़िल मे जाएं तो ज़बान को,
काबू में रखें – पराया धन देखें तो लालच को, 
भूल जाएं – अपनी नेकियों को,
भूल जाएं – दूसरों की गलतियों को,
भूल जाएं – अतीत के कड़वे संस्मरणों को,
छोड दें – दूसरों को नीचा दिखाना,
छोड दें – दूसरों की सफलता से जलना,
छोड दें – दूसरों के धन की चाह रखना,
छोड दें – दूसरों की चुगली करना,
छोड दें – दूसरों की सफलता पर दुखी होना,
 ” यदि आपके पर्स में पैसे हैं ,और आप कुछ बदलाव के लिये कही भी जा सकते हैं , जहाँ आप जाना चाहते हैं
तो आप दुनिया के 18% धनी लोगों में शामिल हैं । “
 ” यदि आप आज पूर्णतः स्वस्थ होकर जीवित हैं ,
तो आप उन लाखों लोगों की तुलना में खुशनसीब हैं , जो इस हफ्ते भी जी न पायें । “
 ” जीवन के मायने दुःखों की शिकायत करने में नहीं हैं ,
बल्कि हमारे निर्माता को धन्यवाद करने के अन्य हजारों कारणों में है । “
                 ”  अगर कोई पूछे कि जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया ? …… तो बेशक कहना, जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी और जो भी पाया वो प्रभू की मेहेरबानी थी। क्या खुबसूरत रिश्ता है मेरे और मेरे भगवान के बीच में, ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वो देता नहीं…”
 ☄जीवन के तीन मंत्र☄
☄ *आनंद में  –  वचन मत दीजिये*
☄ *क्रोध में  –  उत्तर मत दीजिये*
☄ *दुःख में  –  निर्णय मत लीजिय ,
                    ” कद इतना छोटा रखिए कि , सभी आपके साथ बैठ सकें। और इतना बड़ा मन रखिए कि , जब आप खड़े हो जाऐं, तो कोई बैठा न रह सके। “
                   ”  झाड़ू जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह “कचरा” साफ करती है। लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है, तो खुद कचरा हो जाती है। “