कोई दरवाजे पर आकर कह रहा है

कोई दरवाजे पर आकर कह रहा है कि,

वो घर, अपना पालना चाहता है,
कहता है, जी तोड़ मेहनत करूंगा,
साहब, मुझे कोई, कुछ तो काम दें।

वो घर, अपना बचाना चाहता है,
कहता है, घर की नींव डालना जानता हूं,
साहब, नींव डलवाने का ही काम दे दें।

वो घर, अपना सजाना चाहता है,
कहता है, घर बनाना, सजाना जानता हूं,
साहब, घर को सजाने का ही काम दे दें।

वो घर, अपने अर्थ सुख चाहता है,
कहता है, यहां नहीं तो बाहर चला जाऊंगा,
साहब, कहीं भी, किसी भी जगह भेज दें।

वो घर, अपने बच्चे शिक्षित चाहता है,
कहता है, भीख नहीं चाहिए, मेहनत बेचूंगा,
साहब, ईमान छोड़कर, कुछ भी करवा दें।

वो घर, परिवार का भविष्य चाहता है,
कहता है, दूर रहकर, मुझे कुछ भी हो जाए,
साहब, शिकायत नहीं, कमाई घर दे देना।

दरवाजे पर, इतनी बड़ी बातें कौन कर रहा है,
साहब वो कहता है, खाली पेट ‘ मैं मजदूर हूं’।

बाघों पर हिंदी कविता

हासिल जिसको खिताब,
विश्व दिवस उसका आज,
विश्व की 70 फ़ीसदी,
आबादी भारत में रहती।

एक समय ऐसा था,
अस्तित्व पर संकट था,
धीरे धीरे बढ़ता क्रम
अब रहा न कोई भ्रम।

भारत में इनकी कुल,
संख्या 2967 हो गई,
50 से ज्यादा संख्या,
टाइगर रिजर्व हो गई,

वन पारिस्थितिकी तंत्र में,
सबसे अहम भूमिका रखते,
उनके स्वस्थ, सुरक्षित रहते,
जैव विविधता होती खुशहाल,

आओ मनाले मिलकर आज,
विश्व बाघ दिवस मन से आज।

” वृद्धावस्था में ” हिंदी कविता

## वृद्धावस्था में ##

अच्छे दिन की आस में,
बीत गए वो अच्छे दिन,
हंसी के दिन खुशी के दिन,
मित्रों की टोली के संग।

टोली हमारी बहुत खुशहाल,
सुनना और सुनाना होता,
गाना और बजाना होता,
वर्षों से थी चली आ रही।

पड़ी समय की मार भयंकर,
घर में रह गए बन के बंदर,
उछल कूद कर समय बिताना,
जवां चलता चला वृद्ध घर में रुका।

मिलकर देख रामायण दूरदर्शन पर,
सुत का पाया प्यार अपार,
नई-नई नित तरकीब लगाकर,
मोबाइल दिया मुझको उपहार।

नाती – नातिन ने भी,
अपना कर्तव्य निभाया,
सिखाकर मोबाइल मुझको,
आनंद उन्हें बहुत आया।

उंगली घुमा- घुमा कर,
मित्र बनाएं अनेक,
मिलती खुशियां अधिक,
प्राप्त जो होते संदेश।

मोबाइल की लत बड़ी खराब,
आंखें खेलती आंख मिचोली,
चिड़चिड़ा मेरा व्यवहार,
संग में भूल रहा परिवार।

समय बदलाव का,
परिवार के साथ का,
सच्ची खुशियां यही मिलेगी,
अपने परिवार में संसार में।

लिंग पर खुजली

” लिंग पर खुजली “

ध्यानाकर्षण विषय स्त्री या पुरुष की मूलभूत आवश्यकताओं में से है।

विशेष प्रकार की खुजली लिंग पर, कम उम्र से ही प्रारंभ हो जाती है, मुख्य कारण चित्रों या चल चित्रों का आकर्षक गिरोह ‘आंख, दिल और दिमाग’ पर गहरा असर डालते हुए, घेरने में कामयाब हो जाता है।

निश्चित समय से पहले या बाद में पथ भ्रष्ट हो जाना, चिंता का विषय बनते हुए, इसको मिटाने के लिए स्वत: की सोच से किए गए, कई उपाय बेहद गंभीर स्थिति पैदा कर देते हैं।

हम सब देख व सुन ही रहे हैं कि समाज में हृदय को विचलित करने वाली घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं।

बहुत ही नाजुक विषय, जिसको शर्म के कारण परिवार या अन्य से साझा करके उस पर चर्चा नहीं कर पाते हैं।

इस स्थिति को असामान्य कहा जा सकता है, स्थिति असामान्य होने में परिवार और समाज का भी बहुत बड़ा हाथ है।

विषय दिल दिमाग का खेल, उसमें आंखों का सहयोग है, इन से उत्पन्न भावनाओं को नियंत्रित करना आसान कार्य नहीं।

नियंत्रण न कर पाने से लिंग पर खुजली होना स्वाभाविक है। मिटाने के लिए कई प्रकार के उपाय ढूंढे जाते हैं।

कुछ उन निर्धारित जगहों पर जाते है, जहां स्वीकृति मिली हुई है।

समाज के कई हिस्सों में ऐसी जगहों को स्वीकृति नहीं मिली है, अब खुजली वाले लोग क्या करें।

इनमें से कुछ समझदार लोग हाथों का प्रयोग करते हैं। कुछ लोग बिना कुछ सोचे समझे, एक पल आनंद के लिए, ज्यादा ही अनुचित कार्य कर देते हैं, जो बहुत ही निंदनीय है।

कितने ही परिवारों का बजूद समाप्त हो चुका है, समाज में भय व्याप्त है।

सभी अनुचित कार्यों के द्वारा खुजली मिटाना, शरीर के कई हिस्सों में बहुत गहरा असर डालता है।

वैवाहिक जीवन में कई जोड़े, अपने साथी को खुजली मिटाने का सही आनंद नहीं दे पाते, जिनके वे हकदार हैं, समय से पहले ही जोश खत्म।

कारण मन अप्रसन्न का बना।अब खुजली कैसे मिटाए। कई जोड़े संतान प्राप्ति में सफल नहीं होते, कोशिशों के बाद भी निसंतान रहते हैं।

वैवाहिक जीवन को सुख मय बनाने के लिए, इसका उद्देश्य प्रारंभ से ही मन में होना चाहिए।

परिवार में हम सबको मिलकर, एक दूसरे के भावों को समझना होगा, अनुभवों के द्वारा, खुजली की प्रारंभिक अवस्था से लेकर हल होने तक उपाय सुझाना होगा।

जैसा खाओगे अन्न, वैसा बनेगा मन, उस पर ध्यान देना होगा। खुजली मिटाने का उद्देश्य समझाना होगा।

सभी समझदार हैं, मन की इन्द्रियों को वश में करने का प्रयास करने के उपाय करें। अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी।

जब खुजली लिंग पर सताए, दिल- दिमाग काम ना आए,
कर मन, अपनों से बातें चार, बुद्धिमता ही काम आवे।

राष्ट्रीय खेल दिवस

राष्ट्रीय खेल दिवस की शुभकामनाएं….
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खेल दिवस के दिन बच्चों को
हॉकी का दिखलाया डंडा
क्या है कैसे खेले गुरुवर
समझ न आया उनको फंडा
कौन ध्यानचन्द औऱ सरदारा
टी वी पर तो कभी न आया
धोनी,कोहली सचिन कपिल
सा कोई न हॉकी का दिख पाया
गली मोहल्ले से नगरों तक
जब बल्ले,गेंद की धूम मची
तभी बताओ गुरुजी तुम
हॉकी राष्ट्रीय खेल कैसी
सच मे प्रश्न सटीक पाकर
मैं डूब गया हूं चिंतन में
राष्ट्र का प्रतीक हॉकी ही
क्यों गुमनाम सा है
अपने वतन में…