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Jokes

1.
परीक्षा मे फेल होने की वजह पुछी गई तो जवाब दिया, आज के होनहार छात्र ने ??
1 साल के 365 दिन होते हैं……
रोज 8 घंटे सोने के यानी पुरे साल के 122 दिन
*365-122=243*
और गर्मी की छुट्टी गीनो 61 दिन
*243-61=182*
उसमे 52 दिन रविवार
*182-52=130*
दिपावली, होली इत्यादि पर्व की 40 दिन
*130-40=90*
काॅलेज फेस्टिवल 15 दिन
*90-15=75*
खाने-पीने, नहाने के 3 घंटे की हिसाब से 46 दिन
*75-46=29*
रोज के 1 घंटे दोस्तों की उसका 15 दिन
*29-15=14*
अब हम 10 दिन तो बीमार भी रहते हैं
*14-10=4*
टीवी देखने के 3 दिन
*4-3=1*
1 साल मे 1 दिन ही तो जन्मदिन आता है अब जन्मदिन के दिन कौन पढता है यार……
Parent’s Shocked Student’s Rocked………..
😀😀😀😀😀
😝😝😝
 2.
पप्पु – यार बिटु मेरा रिजल्ट तु देख के आजा !
अगर एक Subject मेँ फेल हुआ तो बोलना “जय श्री राम”. . . .
अगर दो मेँ फेल हुआ तो बोलना “राधे राधे” . . . .
अगर तीन मेँ फेल हुआ तो बोलना
“ब्रम्हा विष्णु महेश”
बिटु – (result निकलवाकर )
पप्पु – क्या हुआ ?
बिटु – बोलो साँचे दरबार की जय ।।।
 😂😂😂😂              सब में फेल😂
3.
शिक्षक ने गलती से दूसरे के मोबाइल नंबर पर बैलेंस डलवा दिया,
जब गलती का अहसास हुआ तो उसे सैकड़ो फोन कॉल कर डाली ,
पर फोन न उठा ।
शिक्षक ने मैसेज किया “लश्करे तालिबान में आप का स्वागत है,
बैलेंस स्वीकार कर आप हमारे मेम्बर बन गए है ,
सतर्क रहियेगा सरकारी एजेंसिया आप पर नजर रखे है ,
संभल कर फोन इस्तेमाल करियेगा”
 तुरन्त घबराया हुआ उसका फ़ोन आया की यह क्या माजरा है?
शिक्षक ने फ्री में सलाह दे दी कि बैलेंस वापस कर मेम्बर शिप कैंसल हो जायेगी,
 बस फिर क्या था थोड़ी देर में पैसा वापस आ गया।
शिक्षा:-
1- शिक्षक की सलाह कभी फ्री नही होती।😉
2- शिक्षक का पैसा कभी हजम नही होता।😜
😂😂😂😂😂😂😂😂😂
4.
एक मास्टर जी के घर मे 7-8 मास्टर मेहमान आ गए…
मास्टर जी की बीवी बोली, “घर मे चीनी नहीं है, चाय कैसे बनाऊँ?”
मास्टर ने कहा, तुम सिर्फ चाय बनाकर ले आओ, बाकी मै सम्भाल लूंगा “.
बीवी चाय बनाकर ले आई।
मास्टरजी ने कहा,” जिस के हिस्से में फिकी चाय आएगी,
कल हम सब उनके घर मेहमान बनकर खाने के लिए आएंगे “
सभी मास्टरों ने खुशी से चाय पी ली। एक ने तो यहाँ तक कह दिया,
“मेरी चाय मे तो इतनी चीनी है,कि डर है कहीं डायबिटीज ना हो जाए……!!!
मास्टर ताे मास्टर ही हाेता है भाई साब  !!!
5.
✂✂✂✂✂✂✂✂
👩एक महिला को
🏬 मुंबई में नौकरी मिल गई।
👌वह अकेली ही
💝नौकरी ज्वाइन करने पहुंची,
🎁वहां कंपनी ने उसे
⛺रहने के लिए एक फ्लैट भी दे दिया।
😅महिला ने सोचा कि
👨अपने पति को सूचना दे दूं
🎄ताकि उन्हें चिंता न हो,
🎄उसने पति के लिए मोबाइल में
🎄एसएमएस लिखा
🎄परन्तु गलती से
🎄गलत नंबर पर भेज दिया।
🎄जिस आदमी को
🎄वह एसएमएस मिला
🎄उसकी पत्नी गुजर गई थी
🎄और वह अभी-अभी
🎄अंतिम संस्कार करके लौटा था।
🎄एसएमएस पढ़ते ही
🎄वह आदमी बेहोश हो गया और
🎄उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
🎄एसएमएस में लिखा था –
🎄मैं सही-सलामत पहुंच गई हूं
🎄और यहां रहने के लिए
👍अच्छी जगह भी मिल गई है…..
✋आप बिलकुल चिंता मत करना
🌞बस 1-2 दो दिन में ही
😋आपको भी बुला लूंगी।
👩आपकी पत्नी
😄अकेले ही हँसोगे या दोस्तों को भी
👉हसाओगे तो फॉरवर्ड करिए..

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है ,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ,
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना ,गिरकर चढ़ना ना अखरता है,
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ।
 डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है ,
जा – जाकर खाली हाथ लौट कर आता है  ।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में ,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ,
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती ,
कोशिश करने वालों की हार नहीं  होती।
असफलता एक चुनौती है ,स्वीकार करो ,
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो ,
जब तक ना सफल हो , नींद चैन को त्यागो तुम ,
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम ।
कुछ किए बिना ही जय – जयकार नहीं होती ,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती । 
                                                                         हरिवंश राय बच्चन

महापुरुषों का बचपन

                                                                                           महापुरुषों के प्रेरक प्रसंग

                                                                ” शाहजी ” अपने आश्रयदाता बीजापुर के सुल्तान के दरबार में जाने की तैयारी कर रहे थे , उनके मन में विचार आया क्यों ना शिवा को भी आज अपने साथ ले चलो | आखिर उसे भी तो एक ना एक दिन , इसी दरबार में नौकरी करनी है , दरबार के नियम कायदों का ज्ञान भी उसे होगा  |उन्हेंने आवाज लगाई शिवा तुझे भी आज मेरे साथ दरबार में चलना है | जल्दी तैयार हो जा पिता के आज्ञाकारी पुत्र ने आदेश सुना वह तुरंत तैयार हो गया , पिता पुत्र दोनों दरबार में पहुंचे | शाह जी ने सुल्तान के सामने झुक कर तीन बार कोर्निश किया , फिर वह अपने पुत्र की ओर मुड़ कर बोले बेटे यह सुल्तान है , हमारे अन्नदाता है , इन्हें प्रणाम करो |लेकिन निडर बालक ने कहा पिताजी मेरी पूजनीय तू मेरी मां भवानी है , मैं तो उन्हीं को प्रणाम करता हूं | पिता ने पुत्र की ओर आंखें तरेर कर देखा फिर सुल्तान को संबोधित करते हुए बहुत विनम्र स्वर में कहा – हुजूर यह अभी बच्चा है , दरबार के तौर-तरीके नहीं जानता , इसे माफ कर दीजिए | घर लौट कर जब पिता ने अपने पुत्र को उसके व्यवहार के लिए डांटा , तो उसने फिर कहा – पिताजी , माता ,पिता ,गुरु और मां भवानी के अलावा यह सिर और किसी के आगे नहीं झुक सकता |निडर बालक की बात सुनकर पिताजी सन्न रह गए | यही बालक आगे चलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में प्रसिद्ध हुए ।

                                                                                                                                  प्रसंग दूसरा

                                                                  स्कूल में कक्षाएं लग रही थी , निरीक्षण के लिए शिक्षा विभाग के निरीक्षक आने वाले थे | नियत समय पर आए , एक कक्षा में विद्यार्थियों को उन्होंने 5 शब्द लिखने को दिए , उनमें से एक शब्द था कैटल , मोहन ने यह शब्द गलत लिखा | अध्यापक ने अपने बूट से ठोकर देकर इशारा किया कि , आगे बैठे लड़के की स्लेट देखकर शब्द ठीक कर ले | मोहन ने नकल नहीं किया , वह तो सोचता था की परीक्षा में अध्यापक इसलिए होते हैं कि , कोई लड़का नकल ना कर सके | मोहन को छोड़कर सब लड़कों के पांचों शब्द सही निकले , उस अध्यापक  भी नाराज हुए लेकिन उसने दूसरों की नकल करना कभी ना सीखा |यही बालक मोहन आगे चलकर मोहन दास करम चंद गाँधी अर्थात हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के रुप में जाने गए।

                                                                                                                                   तीसरा प्रसंग

विद्यालय लगा था , लेकिन एक कक्षा में कोई शिक्षक नहीं थे , उस कक्षा के कुछ विद्यार्थी बाहर टहल रहे थे , कुछ कक्षा में बैठे मूंगफली खा रहे थे | वह मूंगफली के छिलके वही कक्षा में फेंक रहे थे ; शिक्षक कक्षा में आए और कक्षा में मूंगफली के छिलके बिखरे देखकर बहुत क्रोधित हुए  |उन्होंने पूछा कक्षा में मूंगफली के छिलके किसने फैलाए हैं किसी विद्यार्थी ने कोई जवाब नहीं दिया शिक्षक ने दोबारा वही प्रश्न कठोरता से किया किंतु फिर भी किसी छात्र ने कोई उत्तर नहीं दिया अब की बार शिक्षक ने हाथ में बैग लेकर कहा अगर सच सच नहीं बताया तो सबको मार पड़ेगी एक छात्र के पास पहुंचे और उससे बोले मूंगफली के छिलके किसने ठेके है जी मुझे नहीं मालूम छात्र ने उत्तर दिया सटक सटक दो भेद उसके हाथ में पड़े छात्र तिलमिलाकर रह गया शिक्षक दूसरे तीसरे चौथे छात्र के पास पहुंचे सभी से वही प्रश्न किया सभी का उत्तर था मुझे नहीं मालूम सबके हाथों पर सटक सटक की आवाज हुई अब शिक्षक पांचवें छात्र के पास पहुंचे उससे भी वही प्रश्न किया छात्र ने उत्तर दिया श्रीमान जी ना मैंने मूंगफली खाई ना छिलके फेंके मैं दूसरों की चुगली नहीं करता इसलिए नाम भी नहीं बताऊंगा मैंने कोई अपराध नहीं किया इसलिए मैं मार भी नहीं खाऊंगा शिक्षक छात्र को लेकर प्रधानाध्यापक के पास पहुंचे प्रधानाध्यापक ने सारी बात सुनकर बालक को विद्यालय से निकाल दिया बालक ने घर जाकर पूरी घटना अपने पिताजी को सुनाई दूसरे दिन पिताजी वाला को लेकर विद्यालय में पहुंचे तेजस्वी पिता ने प्रधानाध्यापक से कहा मेरा पुत्र सत्य नहीं बोलता वह घर के अतिरिक्त बाजार की कोई चीज भी नहीं खाता उसका आचरण बहुत संयमित है मैं अपने पुत्र को आपके विद्यालय से निकाल सकता हूं किंतु निरपराध होने पर उसे दंडित होते नहीं देख सकता प्रधानाध्यापक शांत हो गए यही बालक आगे चलकर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के नाम से प्रसिद्ध हुआ उन्होंने नारा दिया था स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा