बहुत बनाया मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे और गिरजाघर कहि प्रेम की अजब निशानी कही बसाया मूर्तियों का शहर छुद्र विषाणु के आगे बेबस मानवता सिरमौर कहाँ है मानव के सेवा का मंदिर स्नेह शांति का ठौर कहाँ है…
बन्द कफ़न के भीतर देखो रक्त हरा है या फिर लाल कौन मर रहा हिन्दू या मुस्लिम मजहब पर मचे कितने बवाल मानव के बंटवारे करते बन्द पड़े सारे दरवाजे कौन सुनेगा क्रंदन अपना किसे लगाए हम आवाजे थम कर धीमी हुई हलचलें आबादी का शोर कहाँ है मानव के सेवा का मंदिर शांति स्नेह का ठौर कहां है…
जीवन के हर कदम के साथी रास्तों के वो शीतल छाँह समेट लिए कितने पेड़ों को लालच ने फैला अपने बाँह दूभर हुआ अब प्राणवायु भी दिन कैसे अब शेष रह गए खूब बहाया जल की रेली अब केवल अवशेष रह गए सोचो अपनी नादानी को कल वाली वो भोर कहाँ है…..
मेरे देश के वीर सपूतों की दुल्हन, बड़े अरमाँ से माथे पर बिंदी सजाए बैठे थे। जोड़ा सुहाग का पहनकर टकटकी लगाए, हाथों पे मेंहदी,पाँव पे माहुर रचाये बैठे थे
मेरे देश के वीर सपूतों की जननी, आँचल फैलाये अपने आँगन से झाँक रहे थे मेरा लाडला घर वापस कब आयेगा? आँगन, गली ,बस्ती में ताक रहे थे।।
मेरे देश के वीर सपूतों के जनक, सीना चौड़ा कर अपने लाल की राह तक रहे थे बहना रक्षासूत्र बांधने भाई की कलाई ढूंढ रहे थे भ्राता अपने भाई से मिलाप करने आतुर हुए, सखा अपने मित्र के लिए बाट जोह रहे थे
तभी बीहड़ों में छुपे बैठे गिद्ध जानवरों ने, अचानक जवानों पर हमला बोला देख इनकी क्रूरता और कायरता, हमारे वीर जवानों ने मोर्चा खोला
धाय-धाय-धाय-धाय चहुँओर बीहड़ों में, दोनों तरफ से सरबस चली गोलियाँ वीर सपूतों के मुखारविन्द से निकली, भारत माता की जय, जय हिंद की बोलियाँ
निर्लज्ज, दुष्ट दानवों को तनिक भी लाज न आई उनका भी होगा घर-परिवार,ज़रा सी न सकुचाई दुष्ट दानवों का संहार कर दिखाओ देवरूप कन्हाई फ़िर जन्म लो, आओ कलयुगी धरती पर चाहे श्रीकृष्ण रूप या आओ बनकर रघुराई
बीहड़ो के मंजर देख कह उठा हिंदुस्तान पीठ पीछे वार करता है भीरू-कायरों दम है तो सामने आ और कर मुकाबला, देख करतब दिखाते यहाँ के एक-एक जवान।
देश के उन वीर सपूतों को शत शत नमन जिन्होंने देश की ख़ातिर सर्वस्व न्यौछावर कर गया देश की सुख-शांति , सुरक्षा ख़ातिर ये अमर जवान खुद को शहीद कर गया।। उन माता पिता को भी शत शत नमन, जिन्होंने अपने घर का चिराग देश के नाम कर गया।।
नक्सल हमले में शहीद वीर सपूतों को भावभिनी श्रद्धांजलि एवं शत शत नमन💐💐🙏🙏🙏🙏
मुस्कुराती हुई जिंदगी वीरान सी हो गई। चेहरे पे छाई हँसी गुमनाम सी हो गई।। मोहल्ले, दफ़्तर-बस्ती सुनसान सी हो गई। आज फ़िर जिंदगी मँहगी और दौलत सस्ती हो गई।।
आरजू है मिलने की तुमसे, पर मिल ना पाएंगे। हमें आपकी फिक्र है, हर फ़र्ज निभाएंगे।। जिन्दगी रही,फ़िर मिलेंगे किसी राह, किसी मोड़ पर। अपनों को सुरक्षित रखने, डिस्टेंस हम अपनाएंगे।।
Covid के भय से अपनों को देखा है दूर हटते हुए। रईसों को भी देखा है, आगे इसके घुटने पड़ते हुए।। ऐसा दर्दनाक मंज़र न आए कभी किसी के जीवन में। क्यूंकि लाशों को भी देखा है जलने, लाइन में लगते हुए।।
बेवज़ह घर से न निकलें, घर पर रहें, सुरक्षित रहें। वरना, कोई शख्स बिछुड़ जाए अपनों से, पछतावा होगा।। काश उन नियमों का पालन करते मनबहलावा होगा।।
अंत में यूँ कहूँ कि ये सिर्फ दिखावा होगा।। ये सब पहले उन्हें बताए होते, पाठ कोरोना का पढ़ाये होते। अपने होते, अपनों के बीच, काश ये गुर उन्हें सिखाये होते।।
अब तो- यमपुरी से भी यमराज बोल उठे हैं, मास्क लगाओ, डिस्टेंस बनाओ। भारत को भारत ही रहने दो, चीन का वुहान मत बनाओ। चीन का वुहान मत बनाओ।।
—-महेन्द्र कुमार साहू खलारी गुंडरदेही बालोद छ. ग. 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 COVID नियमों का पालन जरूर करें।।🙏