@@ सच्चा दोस्त @@

       

एक दिन जंगल में सभी बड़े जानवरों ने मिलकर कुश्ती प्रतियोगिता करवाने का प्लान बनाया। जीतने वाले को इनाम दिया जाएगा, यह भी निर्णय लिया गया।

तय हुआ कि पहले भालू और बघेरा कुश्ती के मैदान में आएंगे और हार-जीत का फैसला करेगा हाथी राजा।

किन्नु गिलहरी बोली- “मैं भी कुश्ती लडूंगी।” उसकी बात सुनकर सारे जानवर उसका मजाक उड़ाते हुए बोले- “तुम मक्खी से लड़ो कुश्ती।” एक बोला- “बित्ता भर की जान, मगर देखो तो कैसे सबकी बराबरी करने की सोच रही है। यह क्या कर पाएगी?”

यह सुनकर गिलहरी एक कोने में चुपचाप जाकर बैठ गई। तभी भालू की चीख सुनाई दी। सब उधर दौड़े। देखा कि कुश्ती लड़ते वक्त भालू का पैर एक मोटी रस्सी में फंस गया था। कोई भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। तभी गिलहरी दौड़ी हुई आई और उसने अपने तेज धारदार दांतों से रस्सी काट दी। भालू की जान में जान आई।

तभी ईनाम देने की घोषणा हुई- ‘भालू आज का विजेता है।’ भालू ने आगे बढ़कर ट्रॉफी ली और गिलहरी को देते हुए कहा- “विजेता मैं नहीं, किन्नू है, जिसने मेरी मदद की।”

शिक्षा:-
सच्चा दोस्त वही होता है, जो मुसीबत में काम आए।

सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।
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@@बाज की उड़ान@@

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एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमें से एक था. वो उन्हीं के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिट्टी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीं की तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता, और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता.

फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा. बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा कि- “इतनी ऊंचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”

तब चूजों ने कहा- “अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है. लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो.”

बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.

दोस्तों! हममें से बहुत से लोग उस बाज की तरह ही अपना असली Potential जाने बिना एक Second-Class ज़िन्दगी जीते रहते हैं. हमारे आस-पास की Mediocrity हमें भी Mediocre बना देती है. हम ये भूल जाते हैं कि हम अपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है, पर फिर भी बस एक औसत जीवन जी के हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.

शिक्षा:-
आप चूजों की तरह मत बनिए। अपने आप पर, अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए। आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर दिखाइए, क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है।

सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है
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जंगल का स्कूल

हुआ यूँ कि जंगल के राजा शेर ने ऐलान कर दिया कि अब आज के बाद कोई अनपढ़ न रहेगा। हर पशु को अपना बच्चा स्कूल भेजना होगा। राजा साहब का स्कूल पढ़ा-लिखाकर सबको Certificate बँटेगा।

सब बच्चे चले स्कूल। हाथी का बच्चा भी आया, शेर का भी, बंदर भी आया और मछली भी, खरगोश भी आया तो कछुआ भी, ऊँट भी और जिराफ भी।

FIRST UNIT TEST/EXAM हुआ तो हाथी का बच्चा फेल।

“किस Subject में फेल हो गया जी?”

“पेड़ पर चढ़ने में फेल हो गया, हाथी का बच्चा।”

“अब का करें?”

“ट्यूशन दिलवाओ, कोचिंग में भेजो।”

अब हाथी की जिन्दगी का एक ही मक़सद था कि हमारे बच्चे को पेड़ पर चढ़ने में Top कराना है।

किसी तरह साल बीता। Final Result आया तो हाथी, ऊँट, जिराफ सब के बच्चे फेल हो गए। बंदर की औलाद first आयी।

Principal ने Stage पर बुलाकर मैडल दिया। बंदर ने उछल-उछल के कलाबाजियाँ दिखाकर गुलाटियाँ मार कर खुशी का इजहार किया।

उधर अपमानित महसूस कर रहे हाथी, ऊँट और जिराफ ने अपने-अपने बच्चे कूट दिये
नालायकों, इतने महँगे स्कूल में पढ़ाते हैं तुमको | ट्यूशन-कोचिंग सब लगवाए हैं। फिर भी आज तक तुम पेड़ पर चढ़ना नहीं सीखे।
सीखो, बंदर के बच्चे से सीखो कुछ, पढ़ाई पर ध्यान दो।

फेल हालांकि मछली भी हुई थी। बेशक़ Swimming में First आयी थी पर बाकी subject में तो फेल ही थी।

मास्टरनी बोली, “आपकी बेटी के साथ attendance की problem है

मछली ने बेटी को आँखें दिखाई!
बेटी ने समझाने की कोशिश की कि, “माँ, मेरा दम घुटता है इस स्कूल में। मुझे साँस ही नहीं आती। मुझे नहीं पढ़ना इस स्कूल में। हमारा स्कूल तो तालाब में होना चाहिये न?”

मां – नहीं, ये राजा का स्कूल है।

तालाब वाले स्कूल में भेजकर मुझे अपनी बेइज्जती नहीं करानी। समाज में कुछ इज्जत Reputation है मेरी। तुमको इसी स्कूल में पढ़ना है। पढ़ाई पर ध्यान दो।

हाथी, ऊँट और जिराफ अपने-अपने बच्चों को पीटते हुए ले जा रहे थे।

रास्ते में बूढ़े बरगद ने पूछा, “क्यों पीट रहे हो, बच्चों को?”

जिराफ बोला, “पेड़ पर चढ़ने में फेल हो गए?”

बूढ़ा बरगद सोचने के बाद पते की बात बोला,

“पर इन्हें पेड़ पर चढ़ाना ही क्यों है ?”
उसने हाथी से कहा,

“अपनी सूंड उठाओ और सबसे ऊँचा फल तोड़ लो। जिराफ तुम अपनी लंबी गर्दन उठाओ और सबसे ऊँचे पत्ते तोड़-तोड़ कर खाओ।”
ऊँट भी गर्दन लंबी करके फल पत्ते खाने लगा।
हाथी के बच्चे को क्यों चढ़ाना चाहते हो पेड़ पर? मछली को तालाब में ही सीखने दो न?

दुर्भाग्य से आज स्कूली शिक्षा का पूरा Curriculum और Syllabus सिर्फ बंदर के बच्चे के लिये ही Designed है। इस स्कूल में 35 बच्चों की क्लास में सिर्फ बंदर ही First आएगा। बाकी सबको फेल होना ही है। हर बच्चे के लिए अलग Syllabus, अलग Subject और अलग स्कूल चाहिये।

हाथी के बच्चे को पेड़ पर चढ़ाकर अपमानित मत करो। जबर्दस्ती उसके ऊपर फेलियर का ठप्पा मत लगाओ। ठीक है, बंदर का उत्साहवर्धन करो पर शेष 34 बच्चों को नालायक, कामचोर, लापरवाह, Duffer, Failure घोषित मत करो।

मछली बेशक़ पेड़ पर न चढ़ पाये पर एक दिन वो पूरा समंदर नाप देगी।

शिक्षा – अपने बच्चों की क्षमताओं व प्रतिभा की कद्र करें चाहे वह पढ़ाई, खेल, नाच, गाने, कला, अभिनय,व्यापार, खेती, बागवानी, मकेनिकल, किसी भी क्षेत्र में हो और उन्हें उसी दिशा में अच्छा करने दें |

जरूरी नहीं कि सभी बच्चे पढ़ने में ही अव्वल हो! बस जरूरत हैं उनमें अच्छे संस्कार व नैतिक मूल्यों की जिससे बच्चे गलत रास्ते नहीं चुने l

सभी अभिभावकों को सादर समर्पित
🙏🙏🙏

अटकन बटकन का भावार्थ

1- ( अटकन )
अर्थ-
जीर्ण शरीर हुआ जीव जब भोजन उचित रूप से निगल तक नहीँ पाता अटकने लगता है–

2- ( बटकन )
अर्थ-
मृत्युकाल निकट आते ही जब पुतलियाँ उलटने लगती हैं-

3- ( दही चटाकन )
अर्थ –
उसके बाद जब जीव जाने के लिए आतुर काल में होता है तो लोग कहते हैँ गंगाजल पिलाओ

4- ( लउहा लाटा बन के काटा )
अर्थ-
जब जीव मर गया तब श्मशान भूमि ले जाकर लकड़ियों से जलाना अर्थात जल्दी जल्दी लकड़ी लाकर जलाया जाना

6- ( तुहुर-तुहुर पानी गिरय )
अर्थ-
जल रही चिता के पास खड़े हर जीव की आँखों में आंसू होते हैं

7- ( सावन में करेला फुटय )
अर्थ-
अश्रुपूरित होकर कपाल क्रिया कर मस्तक को फोड़ना |

8- ( चल चल बेटा गंगा जाबो )
अर्थ-
अस्थि संचय पश्चात उसे विसर्जन हेतु गंगा ले जाना ।

9- ( गंगा ले गोदावरी जाबो )
अर्थ-
अस्थि विसर्जित के लिए तीर्थ यात्रा कर घर लोटना।

10- (आठ नगर पागा गुलाब सिंह राजा ) अर्थ- पगबंदी – अन्य अन्य गांव से आने वाले पगबंदी करते हैं और आशीर्वाद देते हैं कि आज से आप इस घर के मुखिया हो या राजा हो।

11- ( पाका-पाका बेल खाबो )
अर्थ-
घर में पक्वान्न (तेरहवीं अथवा दस गात्र में) खाना और खिलाना |
धन संपत्ति बिना महन्त के मिलना।

12- ( बेल के डारा टुटगे )
अर्थ-
हमारे परिवार के एक सदस्य कम हो गया।

13- ( भरे कटोरा फुटगे )
अर्थ-
उस जीव का इस संसार से नाता छूट गया ।
भरे पूरे परिवार बिखर गया।

यह प्रतीकात्मक बाल गीत इतना बड़ा सन्देश देता रहा और अर्थ समझने में इतने वर्ष लग गए।

शिक्षक दिवस पर कविता

*शिक्षक दिवस हेतु शिक्षकों को समर्पित मेरी पंक्तिया*

मेरे शिक्षक का साथ
****************
अबूझ लकीर ही थे वे
कुछ बिंदु सरीखे लगते थे
काले पट्टी में श्वेत चाक
बनकर कुछ चित्र उभरते थे
उंगली को मिला सहारा तब
पीठ में अपनेपन का थाप
कुछ लकीरों आए वर्ण बने
पाकर मेरे शिक्षक का साथ…

गूँगा था तब तलक स्वयँ
मन कोरी जब तक ज्ञान बिना
मां की लोरी तो मन्त्र ही थे
जिनसे शब्दों का अहसास मिला
कुछ भाव मेरे भीतर जागे
पर साहस शिक्षा से आई
परी कहानी ,चन्दा मामा
मुनिया की दुनिया से शुरू पढ़ाई
मंच दिलाकर और निखारा
ताली का वो पहली हाथ
तुतलाते हुए लफ़्ज़े शब्द बने
पाकर मेरे शिक्षक का साथ…

कभी सख्त हो दिए डांट
कभी सीख की सरल बात
अनगित लम्हो का दौर याद
सृजनदूत वे शिल्पकार
सीधे-सादे जीवनधारा
पर मन मे थे उच्च विचार
ध्वनि घण्टी पर बंधे नियम
समय बोध कर्तव्य पाठ
अतीत हुआ सुखद वर्तमान
पाकर मेरे शिक्षक का साथ….