*छत्तीसगढ़ म आजादी आंदोलन*
गुलामी के दिन ल दूर करके सुराज लाये बर जुलुम के विरोध अउ अंग्रेज मन ले संघर्ष पूरा देश म होइस ।
1857 म मेरठ के धरती ले एकर शुरुआत माने जाथे। फेर छत्तीसगढ़ के परलकोट म 1824 ले एकर शुरुआत होगे रहिस।
जमीदार गैंद सिंह ह छापामार युध्द के तइयारी करत रहिस । बस्तर म माटी, रुख राई अउ अपन परम्परा के सिरजन अउ सुरक्षा बर
मुरिया, कोई, हल्बा विद्रोह होइस जेमा आदिवासी परब,संस्कृति अउ उकर रीत पिरित के भाव रहिस।
छत्तीसगढ़ म 1857 के क्रान्ति के अगुवाई रइपुर जिला बलौदाबाजार तहसील के सोनाखान जमीदारी अभी के बलौदा बाजार जिला ले मानथे ।
इहा के जमींदार वीर नारायण सिंह रहिस।सन 1856 म आये अकाल म भूख पियास म ऐठत मनखे में जी जुदाई बर विद्रोह कर
कसडोल के साहूकार माखन लाल के गोदाम ल लूट लीन । तेकर सेती चार्ल्स इलियट ह ओला रइपुर के जय स्तम्भ चौक म 10 दिसम्बर 1857 के फांसी के सजा सुनाईन ।
वोह आजादी के ए लड़ाई म पहिली शहीद बनीन । वीर नारायण ह अपन अन्तस् के आवाज ल कभू दबन नई दिस।
संबलपुर म सुरेंद्र साय घला अंग्रेज सरकार के गलत नित बर विद्रोह करिन।1884 म उनला फांसी के सजा घला होइस । वोहा आजादी के लड़ाई के आखरी शहीद रहिस।
इही समय म सैंकड़ों सैनिक मन रइपुर के छावनी म विद्रोह करदिन जेकर अगुवा छत्तीसगढ़िया माटी के मंगल पांडे हनुमान सिंग ह रहिस।
वोह जुल्मी गवरनर सिडवेल ल जनवरी 1858 म मार दिस । उँकर 17 झन संगवारी ल पकड़ के फांसी के सजा सुनादिन अउ विद्रोह ल कुचल दिन।
भारत के संग संग छत्तीसगढ़ के अलग अलग जगा म अंग्रेज मन के विरोध अलग अलग ढंग ले होवत रहिस।
जेमा, रविशकर शुक्ल, बैरिस्टर छेदीलाल, नारायणलाल मेघावले, नत्थू जी जगताप, घनश्याम गुप्त, कुंज बिहारी चौबे आसन कतनो सेनानी मन अगुवाई करत रहिस।
छत्तीसगढ़ के धमतरी म कंडेल नहर सत्यग्रह ह गांधीजी ल आये बार मजबूर करदिन । पण्डित सुन्दर लाल शर्मा ,नारायनलाल मेघवाले ,छोटेलाल श्रीवास्तव मन एकर अगुवा रहिस।
पण्डित सुंदर लाल शर्मा जी के अछूत उद्धार के काम ले तो गांधीजी अतका प्रभावित होइस की वोला अपन गुरु घला मानिस।
मजदूर किसान ल संगठित कर उकर हक बर लड़े के काम ठाकुर प्यारे लाल सिंह ह के अगुवाई म होइस।
एसनहा रुद्री नवागांव सत्याग्रह अउ जगा जगा आजादी बार लइका सियान जवान सब्बो के मेहनत अउ बलिदान ह आजादी के नव सुरुज ल देखाइस।
सिरतोन म अपन अधिकार बर खुदे ल आगू आये ल परथे अपन माटी म अपन परब रीत अउ नीत ह तो सुराज आय।
आजादी के नव सुरुज म जन्म लेहन के हमर भाग ल सँवारे ल चाही । फेर जब तक हमन ए अधिकार के बने ढंग ले उपयोग नई करबो त एकर कोनो मतलब नई होवय।
आवव हमन हमर भुइया बर रख्वारी अउ खुशहाली बार उदिम करन इही ह देशभक्त मन बर सही म हमर श्रधंजलि होही।
