होली लाये प्रेम का,सन्देशा जन मन भरे हर्षित मन झूमें, लगे मधुमास हो धरती के सारे रंग,भाव बन सजे ऐसे जैसे इस बार होली,अपनी ही खास हो..
लाल लगे माथे,शौर्य का प्रतीक बन पौरुष पराक्रम ,विजय श्री भाल हो केसरिया त्याग का सन्देशा,जग जन को दे संयम वैराग्य तप,अपने ये ढाल हो धरती की अंगड़ाई,हरे की हरियाली फैले लहराये तृण-तृण,वसुधा का साज हो…
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विद्या का प्रकाश फैल,तिमिर अशिक्षा का हरे चहुँओर ज्ञान पीले, रंग का पैगाम हो नीले सज पुरुषार्थ,मान बढ़ जाये विश्व गुरु फिर अपना, हिंदुस्तान हो…..
श्वेत सजे मन की ,पवित्रता का भाव लेके चहुँओर शांति,स्वच्छता सद्भाव हो रंग सारे मिल जाये,दूर हो विषमताएं विश्वशांति,सद्भाव का,पूरा अब अरमान हो…..