★माँ★
माँ तो आख़िर माँ होती है,
इनकी कभी कहाँ ना होती है।
माँ तो आख़िर माँ होती है।।
माँ ममता की मूरत है,
बड़ी भोली तेरी सूरत है।
पूत भले कपूत हो जाए,
माँ न होती, कुमात है।।
माँ की हरदम हाँ होती है।।
माँ तो आखिर……….

माँ का हृदय विशाल है,
बिना किसी लालसा के माँ,
बच्चों की करती देखभाल है।।
माँ तो होती वरदान है।।
जग में ऐसी कौन और होती है?
माँ तो आख़िर………..
माँ तू मेरा दृढ़ विश्वास है,
तुझसे है मेरी ज़िंदगी।
मेरे जीवन में तू ख़ास है।
मुझको तुझ पर नाज़ है।।
माँ कभी न डगमगाती है।।
माँ तो आख़िर………
माँ ममता की खान है,
प्यारी सी तेरी मुस्कान है।
तू मेरे लिए भगवान है,
बच्चों के सारे दुःख हरतीं।।
तुमसे रोशन घर,मेरी जहाँ होती है।।
माँ तो आखिर………
🙏महेन्द्र कुमार साहू की कलम से🙏खलारी(गुण्डरदेही)बालोद