कल थामा था जहां हमारा हाथ, माउस, कीबोर्ड के संग हो लेना । मानीटर में चमकते अक्षरों के साथ, आंखों की स्लेट में सपने लिख लेना। बदलते वक़्त की अब मानकर बात, नवप्रयास की अगुआई तुम ही कर लेना।
जब कभी शिखरों पर गर हो तुम्हारी चढ़ान, नींव के पत्थरों को भी याद जरा कर लेना । मन आकुल, व्याकुल होकर जब जाये थक, दे आवाज़ सधिकार हमें पुकार ही लेना । साहस के बस्ते में ज्ञान के साथ, भविष्य की नई इबारत लिख जाना ………. ।