पुतली के ओ गाँधी

*गाँधी जयंती की शुभकामनाएं*
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धधक रही है आज समाज मे अनाचार की आँधी
कब आओगे जग के रखवाले पुतली के ओ गाँधी
संयम धैर्य का पुल टूट चुका है
ढह रहा महल अहिंसा का
भेदभाव छुआछूत बढ़ रहा
क्या होगा तेरे निरबल इंसा का
तेरे बन्दर ऊंघ रहे है
स्वप्न रहा अब47 की कहानी
सविनय तेरा कहाँ गया,
दांडी यात्रा कौन करें
नमक बन गया पानी
अब भी तुमको देख रहा है
सेवाग्राम की आबादी
कब आओगे जग के रखवाले
पुतली के ओ गाँधी….

सब्र टूट गया मानवता का,
सत्य फिर हिम्मत हारा
असहयोग अब कौन छेड़ेगा,
कौन देगा करो मरो का नारा
दम तोड़ गए स्वदेशी चरखे
कहाँ खो गए खादी के सूत
सच की बाते कौन करे अब
100 में नब्बे पूरे झूठ
झूठे में झूठों का शासन
करते सच की बर्बादी
कब आओगे जग के रखवाले
पुतली के ओ गाँधी…

कौन बने यहाँ सुंदर शर्मा
भले सभी सुंदरता के दूत
सभी लगे भविष्य सँवारने
नही देखेंगे मुड़कर भुत
देख भला आखिर क्या करते
दूर के ढोल है सबको भाता
शांति, विनय,अनुनय,अवज्ञा
अब किसे निभाना है आता
न महकी अब तक ये बगिया
आएगी कब खुशबू सौंधी
कब आओगे जग के रखवाले
पुतली के ओ गांधी…

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