एक दिन जंगल में सभी बड़े जानवरों ने मिलकर कुश्ती प्रतियोगिता करवाने का प्लान बनाया। जीतने वाले को इनाम दिया जाएगा, यह भी निर्णय लिया गया।
तय हुआ कि पहले भालू और बघेरा कुश्ती के मैदान में आएंगे और हार-जीत का फैसला करेगा हाथी राजा।
किन्नु गिलहरी बोली- “मैं भी कुश्ती लडूंगी।” उसकी बात सुनकर सारे जानवर उसका मजाक उड़ाते हुए बोले- “तुम मक्खी से लड़ो कुश्ती।” एक बोला- “बित्ता भर की जान, मगर देखो तो कैसे सबकी बराबरी करने की सोच रही है। यह क्या कर पाएगी?”
यह सुनकर गिलहरी एक कोने में चुपचाप जाकर बैठ गई। तभी भालू की चीख सुनाई दी। सब उधर दौड़े। देखा कि कुश्ती लड़ते वक्त भालू का पैर एक मोटी रस्सी में फंस गया था। कोई भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। तभी गिलहरी दौड़ी हुई आई और उसने अपने तेज धारदार दांतों से रस्सी काट दी। भालू की जान में जान आई।
तभी ईनाम देने की घोषणा हुई- ‘भालू आज का विजेता है।’ भालू ने आगे बढ़कर ट्रॉफी ली और गिलहरी को देते हुए कहा- “विजेता मैं नहीं, किन्नू है, जिसने मेरी मदद की।”
शिक्षा:-
सच्चा दोस्त वही होता है, जो मुसीबत में काम आए।
सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।
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