जीवन में आगे बढ़ना है तो ,
संकल्प की सीढ़ी से चढ़ना होगा ।
वरना जीवन भर पछतावे के,
पीड़ा की आह भरते रहना होगा ।
संकल्प अगर मजबूत हो तो,
समंदर में सेतु बन तैर जाता हैं ।
वरना कहने वाला कहते – कहते,
जीवन भर पीछे रह जाता हैं।
निश्चित ही संकल्प से मानव ,
जीवन में कुछ ना कुछ बन जाता हैं ।
संकल्प में ताकत है दशरथ मांझी जैसे
पत्थर में राह बना जाता है ।
आज कर्म वीर की कर्म गाथा
यू ही नही गुणगान किया जाता हैं ।
अरसों-बरसो की परिश्रम से
कठिन लगन से संकल्पित हुये हैं ।
जन्म से कोई महान पैदा नही होता है
जग में कुछ करना पड़ता हैं।
अब्दुल कलाम जैसे को देश लिये
संकल्प वीर बनना पड़ता हैं ।
आजदी की लड़ाई मे अगर वीर सपूत
घर मे बैठे रह जाते तो ।
शायद आजदी केवल
एक कल्पना होता कल्पना रह जाती |
मनोज कुमार ठाकुर
दुर्ग , छत्तीसगढ़