सरमा जी राजस्थानी कहानी


सरमा जी म्हारै स्हैर में एक नमूनों है। बिंयां सगळा सरमा जी,सरमा जी हुवै पण ए सरमा जी सरमा जी स्यूं डेढ हाथ ऊंचा, न्यारा निरवाळा।

बै अठै री सेकंडरी स्कूल में इतिहास रा मास्टर। ट्यूशन में पढावै भूगोल, है नीं मजेदार। आं री बांथां में भूगोल, माथां में हिंदी अर दांतां में काथै स्यूं गळगच पान रो डूजो। राफां में दाब्योड़ी गणेश छाप खैणी। बोलै तो फूल झरै।

अरै ना रै भाईथूक हुवै बो। दोन्यां रो भेळियो। बे खुद गांरटी लेवै क पांच फुट परै बेठै रै म्हारी पिचरकी लागै नीं तो कै कमायो। खैर सरमा जी री गाथा रा पाना जद धकै चढ ही लिया तो फिरोळणा तो पङसी।

कहाणी पौळा ही ली तो अब अल्ला अल्ला खैर सल्ला। एक लूंठी भींत जिण माथै राख्योड़ो हीरो, सरमा
जी। केवणै कथ ना लागै सरमा जी तो भाई सरमा जी।


” कियां भायलां,”मिलतां ही पैली पोत।
” ठीक ही हुवोला”खुद रो ही पड़ूतर।


ठीक के बडेरां रो भोगनो है,राज तो ओ जिकै में पचीस रीपीयां किलो गेंवू है, म्हारै बगत दो रिपीयां रो सेर घी आंवतो। खुद खुद पाछो पड़ूतर।
तो भेळो कर लेता कुंड खण। आज काम आंवतो।


भेळो के…………..करता, सरमा जी एक ठाडी सी गाळ ठरका म्हां तीना सामी देख्यो। म्है तीनू सरमा जी रा खासो -खास, क्यूं क सरमा जी नै बजार में एक कचोरी अर चाय पांवणै में खीसो खाली म्हानै ही करणो पड़तो हो। बां तो बापूजी री सौगन खा राखी ही जेब सूं जळेबी खावणै री।


घर में सरमा जी बिराजै,बीं रो नाम बै ही थरप्यो “अपणायत” हो तो भाड़ै, मालक तो दिसावर रेंवता हा। गुराणी जी हाथा जोड़ी कर परी हेली लारला तीन आसरा लिया हा।

कदास सिर ढक्यो रेवै। आं भरोसै तो बोरटी ही ठेरणै तांई हां को भरती नी। अब अपणायत में पैली रोज राफड़ आपस परी, पछै टींगरां रा धमचक,अर टैम बचज्या तो पाड़ोसी के काम का।

बै सुख सूं सोवै आ माय मोरी ए।
टाबर पांच ,तीन बायल्यां, दो लढगर। सायर इसा क आंख में घाल्या ही को रड़कै नीं। आगलै री आंख ही जब काढ परी फैंके तो रड़कै किंया।

आंखै बास री छाती में छेकला घाल मेल्या है पांचू पांडु, क्यारां पांडु नागड़ै खाध्या पांचू खयीस। बास आळा र्धगुराणी जी री हाथा जोड़ी री सरम सूं चुप है, नीतर आधी रो लांपो लगाय आनै काढै।।


ईं अपणायत पुराण में तो भूल ही गया गिंगरथ तो आज सरमा जी रा हुवणा है, बिचाळै ही रामारी अपणायत लागै मोरो इरै।

घर में सरमा जी रो कमरियो, इसो आबड़ खाबड़ क एक पग धरो तो दूसरो पग पूछै म्है कठै टीकूं। बां रै पलंग पर जच्योड़ा बस पसरियोड़ा बै ही।

बाकी तो राम राजी खिंडळ कंपीटीसन रो जै इन्याम हुवै तो सरमा जी नै कोई छेक लै। इसी तो कोई मां सूंठ खा जाम्यो ही कोयनी। कमरै में दो चीजां मजेदार, एक तो बां री ढीली ढचकळ पैंट सामी खूंटी टंग्योड़ी है, लारलै साल भर सूं।

बां री साथण एक चिड़कली पैंट री जेब में घुरसलो घाल अंडा दे दिया हा। म्है एक दिन पूछ्यो गुरजी आ, बे फें… फें ..करता बोल्या “तो किसी हेल्या चिणाय जापो जणसी “लाध गी जाग्यां ए ही घर घाल लियो।

पण थै पैली ही पैंटड़ी उतार पसवाड़ै करता तो! हैं….. हैं…… हैं… फिस्स, “उतारता तो जद क उतारणो होंतो। राजाजी केळा बांटै छोल परा बांटै क सापता, सापता! तो भाई कुण खावणै सारू फोड़ा भोगै “सरमा जी कीं बोलै बां सूं पैली गुराणी जी पाणी झलांवता म्हासूं केयो।

ए तो बस कीं केयसां तो का तो गोली रांड सा दांत काढ सी, का थोबो मण भर कर परा आटी पाटी सी लियोड़ा पड़िया रेयसी आखै दिन।


दूजी बात कमरै में तीन चितराम। पैलो लरड़ियां रो एवड़ रोही जांवतो लारै गिंवाळियो लाठी खांधै लिया जांवतो, बी री पीठ ही दिसै। दूजो
हींचतो घोड़ो सामी आंवतो।

तीजो अंधारै में भींत टंटोळतो मिनख मगसो सो निगै आवै। एक दिन म्है तीनूं बानै आं चितरामा रख अरथाव पूछ बेठ्या, डूंगै जोहड़ै रै तळै सूं जाणै घोचो काढै बीं भांत मुंहडो बणाय बतायो।

देखो भायला ओ ग्यान घणो गूढ है, डूंगै नै ढूंढणो सोरो पण इत चितरामा रो तो के अरथाव, फैं…फैं.. हैं.. हैं.. फिस्स। थूक उछळ म्हां तांई पूगै म्हां पसवाड़ै सरक लिया हा। बांरो तोप गोळो जाय नै गुराणी जी रै ओढणै री सोभा बढा न्हाकी।

मांटा बै तो पसवाड़ो ही को फोरियो नीं।आधी आंख मींच बोल्या देख भाई-
भेडां तो जांती भली रोही रो ओ जीव
घरां घमकै कैंकाण तो मान बधै सदीव।
समझग्या। म्हां फटाक सी हां धरी।

और थूक बिलौणै नाम हां भली। गुराणी जी चाय रो पूछणै आया हा। बरड़ावतां ही ओठा घिरग्या हा। अंधारै में भींत पकड़ बगतो मिनख है, बगत अर जीव म्हानै भरोसो हो, क गयी दो घंटा री। बायबल सूं लेयनै गुलशन नंदा रै उपन्यासां री लाईना पुरस सी बगत नाम बंदूक री गोळी खावणै में ही सौरप लखावै।


चावड़ी चाव सूं पी। फैरू पाछो आवणै री बात छोड़ भाग छूट्या।
सरमा जी साहित, संगीत, धरम अर साथै ही पक्का कोमनिस्ट। भेळियै रा भोगना अठै ही फूट्या हा।

बातां रा गढकोट थोथा थूक बिलोवणा। बगत रा दुसमी। एकर सी पांच दिन म्हारी कचोळ्यां बैली ही तो चिंत्या हुवणी ही। टींगर ही को दिस्या हा नी, डफीड़ खांवता, भूंवता।

भाई तीनूं गया जी काठो कर बीं अपणायत रो दरवाजो खड़कायो पसीनो पूछता गुराणी जी आया। म्है मांय गया, देख्यो अजब सी खेबी है।

दो बेटा अर तीजो बाप खाट पर पसरिया आख्या टिमकारै। छोरियां दांत काढै। पापा थै जीत सो भाया हारसी।एक बोलै नी ए बाई भाया जीत सी पापा तो बूढा है आसूं घणो को टीकीजै नीं।

म्हारै धाय फाय है के कोतक। टींगरां के रोळो घाल राख्यो है। धाप्योड़ा गुराणी जी नै पूछ्यो के हुयो? हुयो के म्हारै जणीतां रो सिर। तीन दिन हुग्या छाती में राध घालतां।परस बेटे ही पछै कुण उठसी रे सरत घाल पड़िया है। टींगर टींगरी धतै चाढ दिया। ए लेय छुटी पसरग्या।

सरत में हंगण मूत री छूट बाकी मांचो। अब म्है किसै कुवै में पड़ूं मायतां हाथ पकड़ायो तो इसां मूसळा साथै। पड्या पड्या ही गिटै ना नहावै ना धोवै काढै बडेरां रो नांव। म्है तो आंती आगी बेटा। निकळ ज्यूं कदै रात रे पल्लां छोड़ परी धाप्योड़ी।


गुरूदेव पगै लागणा,
हां लागल्यो ए पड़िया
मांचै पर हो किंया लागां, धरती पसारियोड़ा हुवो तो पड़िया रै लागल्यां पण…..?


आसण पाटी किंया लेयली, के तोतक है।
तोतक तातक कीं कोयनी। सरतां है भायला छोरा साथै।
म्हनै ठुरियो दिखावै, म्है आंरो बाप के ए म्हारा।


देखाणी कुण पछै उठै
म्हानै लखग्यो क खिलाड़ी दूरसूं पैणां में कबडी घालै है। मौत बापड़ी गुराणी जी री। छैकड़ सागण चीज परोटणी पड़ी।म्है केयर गुरूजी राजनीति में नी छोटी हुवै क बडी इतो सुणता ही बै धपड़कै खड़ा हुग्या।

छोरां रळ परा मचायो रोळो, पापा हारग्या रै, हारग्या रै। रोळै रो रासो ओ हुयो क पाड़ोसी भाग परा घरां सूं बारै आ खड़या हुया।

कोई अणहूणी तो नीं होगी है। पण टींगर रिगटोळा चढग्या हा, गुराणी जी भी मांय मांय मुळकै हा क बालम जी मांचो छोड दियो हो। म्हनै किसी राजनीति री नी सूं लेणो देणो हो।


एकर सी सगळा री ग्यान गोठ सरमा जी रै घरां चालै ही। बिंया जद भी ठालभ में हुंवता तो पसरियोड़ा सरमा जी रो खिंड्योड़ो कमरो अर म्है। बगत रो बाळो बगतो राखता। तो बी गोठ में बीरता रा बखाण हुय रेया हा।

सगळा आप आप री सिरकावै हा। अब बोलो सरमा जी चुप किंया रेवै। हथाळी पर जरदो चूनो रगड़ दी थापी। कमरै में धांस होगी ही।

छींका छरड़ै साथै बे आपरी बीरता रो आफरो झाड़ दियो। सापां रै बारै में पैली तो बै बडो ग्यान री गांठड़ी खोल जणायो क कितै भांत रख जहरी हुवै धरती में आप खुद नै टाळ।

पछै निहालदै पोळाई आपरै अर सांप रै बीचै रै जुध री। सुणनी ही क्यूं क आज चाय कचोळी बांरै डी ए एरियर रै पीसां री ही। तो भाई चबड़ चबड़ करता सरमा जी सांप साधै हा बांधै हा किसै मंतर सूं सांप आंधो हुज्या आ बतावै हा। आज ठा लाग्यो क सरमा जी मंतर भी जाणै।

इतै में छोटियो कुचकेरणी करी पापा थारै पलंग नीचै बांडी। अरे कठै? लाठी ल्याव, थै उस्तादां बींनै छिछकार परी भगावो।

नीं तो किनै ही खा ज्यासी। आप पलंग छोड लकड़ी आळै घोड़ै जा चढ्या। सिगळा नै समझावणी देवै, ईंया मारो बिंया फैंको पण नीचै नीं उतरै। उपर ही धूजै। म्है केयो सरमा जी सांप आंधो हुज्या बो मंतर पढल्यो नीं आ आंधी हुज्यी पछै थै हाथ घाल पकड़ लिया।

सरमा जी उपर बांदर सा बेठ्या बोलियाँ, ना भाईड़ा आ बांडी साव नुगरी आ झपटो मार डंक लगावै। वायपर है वायपर थै मारो पत्रकार जी। म्है छोरै कनै सूं बांस लेय तका परो बांडी रो मुंहडो चिगद्यो।

पछै बीनै कूरड़ी फैंकी। अब सरमा जी बीं घोड़ै सूं आहिस्ता आहिस्ता नीचै उतर परा ईनै बिनै तकाय चाल्या बीं बांस नै लै खांधै कूरड़ी कानी।

म्है बूझ्यो अब किनै बे केयो भायला नुगरी नै पूरी कीचरणी। अब मरियोड़ी बांडी रै पांच झपीड़ देय परा म्हारा बीर सिपाही आया घरां ।आंरी बहादरी रो ओ किस्सो भी रंगीन आखरांं में लिखीज सी।


सरमा जी रो दरसण सास्तर गजब रो। जो कद ग्यान की गळदाई हुवै। म्हानै नूंत बुलावा। अब दीतवार मिलै रिगटैळ सारू तो जा पूगां सरमा जी रै बे रिगवेद री राड़ बुध पिटकां साथै मथ परा सीधा से रजनीश सूं बांथेड़ो करावै म्हारो।

एक ही पोथी बार बार जिकी लिखां तो कहाणी रो भो बिगड़ज्या पण भाई एक बो ही तो दिन हुवै जल सुणनियां नै गुराणी जी मसालेदार टिकड़ा चाय साथै पावै।

सरमा जी धुकै पण जीभ रा से टिकड़ां सटै निकळता अळबत सस्ता लागै बाने। अळभत तो म्हारै हुवै।

चारवाक वादी सरमा जी चर चर बिगड़ैल भैसे बरगा हु लिया,पण खावो सो ज्यावो। मांगतोड़ो स्यांड चरावो। बां माथै ही कथीजी लखावै।।

बां रो आळस पणो टींगरां रो धेलो कर दियो। बगत किणरै ढाब्यो ढबै।बात परवाह पांचूं बधेपो लियो। हीर हटक बायरा बै पांचूं छुट्यै गोधां री गळाई आप आपरी खबरें पोळाय ली। एक तो होटलां हिल्यो ।

दूजो कोई जीप रै मालक कनै गाडलो झाड़तो झाड़तो ड्राइवर बणग्यो हो, जीपड़ी रख गैड़ा देवै। छोरियां में एक तो गुराणी जी रो स्सारो देवणै सारू कीं बगत देख सुधार डील में घाल परी घर धंधै में जुटगी ही।

दो में एक लंका लाय।उछाळ भाटो लेय जुध देवी बण परी छैकला बियां ही घालै। गुराणी जी, म्है घणा ही समझाना सरमा जी नै पर चिकणै घड़ै पर छांट ठठेर तो बांरै बात लागै।
बे तो केवंता भाई चिड़ी कागला नै कुछ सामै है रै भाई।


पण सरमा जी ए चीड़ी कागला थोड़ै ही है, छोरी जात संभाळो। टींगरां रो तो कीं कोनी जिंया तिंया खा झपीड़ पापै पुनै लाग जी पण आं रो के हुवैला।


हुवैला के आपां के बिधातां हां जिका भाग लिखां, लिखणियो जिकी लिखी है बा हुंया ही सरै फालतू चिंत्या कर भोड नीं दुखाणो। क्यूं भाई गोपाल समझा कनी ईं पत्रकार नै। झूठो ही मिंयो स्हैर री पीड़ पातळो पड़ै है।

खैर गुर्वी जी री छाती रा ए बोरिया हा। धिकावै हा, धिकावै के हा आगोतर रा लेणियां देणिया ही भुगतावै हा।
एक दिन ठा पड़यो क होटलां हिल्यो टींगर चोरी रै शक में थाणै झालीजग्यो है।

सरमा जी रै तो नीं पण गुराणी जी कोई नै भेज म्हानै बुलाया। भाई टींगर नै किंया ही जामनी करा छुडावो बाळो। आं कानी तो सा ही बिसूंजगी। मरै तो चोखो खपै तो चोखो।

सरमा जी दांत काढै हा, के हुयो दो दिन खा लेसी तीखै तड़कै री दाळ किटाणुं ही तो मरसी मामला। गुराणी जी गळगळी आंख्यां सूं म्हा कानी तकायो।

म्है तीनूं जाय जाफड़ ताफड़ कर टींगर नै छुटा परा ल्याया।
गुराणी रै फणा तणा हुंया बडोड़ी रो ब्याव हुयो। फेरां री बगत सरमा जी रो अतो पतो ही कोनी।

सगळा डाफा चूक बरात्यां नै संभाळै क बांनै ढूंढै। भायलां रै फेंफ्यां आयली। छैकड़ लाधया तो उपरलै कमरै में आंख मींच्या घोर खांचता ए तो फेरा अधरातिया हा, नीं तो जिंया नाचती बरात सारू मंडप में बाण दादो मोहरत टळै नीं होम बेदी पर खूंटल्यां रोपै बापड़ो बिंया सरमा जी री जाग्यां कोई खूंट रोपणो पड़तो।

जिंया तियां ब्यावड़ो सळटग्यो। बाकी ब्यावां री झिगत तो हुई ही कोनी टाबरिया मतो मती आप आप रा बरतन बरत निरवाळा हुया।


अबै सरमा जी रिटायर हुग्या हा, मिल्यो जिको सिमट समेट नौलगढ आपरै गांव सिधाया। पछै कयी दिन तो फोन सूं बोल बंतळ हुंवती। पछै धीरै धीरै मगसी पड़ बंद सी हुगी। बार तिव्र कदै दास चितार हुय ही जाते, अपणायत घर री रिगटैळ्यां अर सरमा जी रै किस्सां री।

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