विश्व महिला दिवस पर नारी को समर्पित पंक्तियाँ
प्रथम कविता :-

प्रेम,समर्पण,व्यथा,वेदना
करुणा,पीड़ा,क्रंदन नारी
बहन,बेटियां, माँ और पत्नि
रिश्तों का सब बन्धन नारी ।
भरे स्नेह संस्कार बालमन
बने पूत रघुनन्दन नारी
बने प्रेरणा जब समाज में
रचे पति रामायण नारी ।
राष्ट्रभक्ति को त्याग पुत्र का
पन्नाधाय सा समर्पण नारी
युद्ध भूमि में सैनिक सेवा
बने पूत अभिनन्दन नारी ।
द्वितीय कविता :-

हे जनयित्री हे मातृशक्ति,
हे स्नेहकरिणी दयाभक्ति
यश कीर्ति मान सब तुझसे ही
तुझसे ही मुझको प्राण मिला
सह गए अनेकों कष्टों को
पर होठों में नित मुस्कान मिला
सच कहता हूं जग की देवी
तुझसे जीवन दान मिला।।
वो रोटी गुथे प्रेम डाल
ममता करुणा के संग साथ
कब से भूखी वो स्वयं रही
पीकर पानी बिता गई रात
अघा गया न जब तक मैं
तब तक रुकती न उनकी हाथ
पड़ गए फफोले हाथों पर
चेहरे न कभी थकान मिली।
सच कहता हु जग की देवी
तुझसे जीवन दान मिली।।

टिक-टिक करता मेरा बचपन
बन कर रही सदा परछाई
बड़ा हुआ कब कैसे हँसते
ये बात समझ न मेरे आई
दिन-दिन भी कई बरस लगेथे
खुशियो को जो तूने खपाई
बार एक जब भी मैं बोला
हरदम कपड़े नया दिलायी
कितनी सिलवट फ़टी साड़ियां
पहन गई मा कर तुरपाई
छुआ नही माँ मुझे मुसीबत
हरदम नई उड़ान मिला।
सच कहता हूं जग की देवी
तुमसे जीवन दान मिली।।
